
विधानसभा में शुभेंदु अधिकारी का दावा- ‘बीरभूम में लोगों की हत्या के बाद उन्हें घर में बंद कर जलाया गया’

कोलकाता, 24 मार्च (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के बीरभूम नरसंहार को लेकर नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा में चौंकाने वाला दावा किया है। भाजपा विधानसभा में इस मामले पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करती रही। विधानसभा अध्यक्ष के न मानने पर शुभेंदु के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया है।
गुरुवार को विधानसभा में उन्होंने कहा है कि बुधवार को जब वह घटनास्थल का दौरा करने पहुंचे थे तब लोगों ने बताया है कि बगटुई गांव में जिन लोगों को जलाकर मारा गया है, उनकी पहले हत्या कर दी गई थी और उसके बाद घर के दरवाजे बंद कर आग लगाई गई थी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि प्रत्यक्षर्शियों ने उन्हें बताया कि पहले महिलाओं की चाकू मारकर हत्या की गई थी। उसके बाद घर का दरवाजा बंद कर दिया गया और पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई। सदन में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी से इस दिल दहलाने वाली नरसंहार की घटना पर चर्चा कराने की बात की लेकिन वह तैयार नहीं हुए। इस पर भाजपा विधायकों ने नारेबाजी करते हुए बहिर्गमन किया। उसके बाद बाहर परिसर में बैठकर धरना दिया।
धरने पर बैठ शुभेन्दु अधिकारी ने मीडियों को बताया कि उस गांव में भाजपा को सिर्फ 16 वोट मिले थे। हम उस अल्पसंख्यक बहुल गांव में राजनीति करने नहीं गए थे, मानवता के लिए गए। मैंने गांव के लोगों से जो सुना है, वह मध्ययुगीन बर्बरता को मात देने वाला है। शुभेंदु ने कहा कि बगटुई के निवासियों ने घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र समाप्त होने में अभी एक या दो दिन बाकी हैं। हम राज्य सरकार से अपील करेंगे कि बगटुई घटना पर चर्चा करें। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो हम विरोध करेंगे। हमें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है। हमने इस घटना में एनआईए के हस्तक्षेप की भी मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने जिन अधिकारियों के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है वे खुद ही कई मामलों में आरोपित हैं। उन्होंने कहा कि आईपीएस ज्ञानवंत सिंह के नेतृत्व में कोई भी जांच सुचारू रूप से पूरी नहीं हो सकती।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में बहुचर्चित छात्र नेता अनीस खान हत्याकांड की जांच के लिए भी गठित एसआईटी के मुखिया ज्ञानवंत सिंह ही थे। उस मामले में अभी तक मुख्य आरोपितों को गिरफ्तार भी नहीं किया जा सका है और न ही हत्या के राज से पर्दा उठा है, जबकि घटना के करीब दो महीने बीतने वाले हैं।