
राष्ट्रीय कवि मैथिली शरण गुप्ता के जीवन दर्शन से प्रेरणा ले देश की नई पीढ़ी

बेतिया, 3 अगस्त (हि.स)। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में कवि दिवस यानी हिंदी के महान कवि मैथिलीशरण गुप्त जन्म दिवस के जन्मदिवस एवं भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद ने कहा कि , राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झांसी के समीप चिरगांव में 3 अगस्त 1886 को हुआ था, वे हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। उन्हें राष्ट्रकवि का सम्मान भी प्राप्त है। मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य के इतिहास में खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं।भारतीय संस्कृति एवं साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्म दिवस यानी तीन अगस्त को ‘कवि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में ‘दद्दा’ कह कर संबोधित किया जाता था।उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी । इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ”राष्ट्रकवि” की पदवी भी दी थी।
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में देशभक्ति, राष्ट्रीयता, आजादी, गांधीवाद, मानवता तथा नारी के प्रति करुणा और सहानुभूति के स्वर मुखर रहे। आजादी के आंदोलन के बाद जब देश हिंदू-मुसलिम मतभेद से जूझ रहा था, तब उनकी लिखी कविता ‘काबा और कर्बला’ ने लोगों के अंतर्मन को झकझोर दिया। उनकी हर रचना में राष्ट्रभक्ति की झलक दिखती है। मानवीय रिश्तों का चित्रण करने में भी मैथिलीशरण गुप्त अग्रणी थे।