
यूनेस्को के सांस्कृतिक विरासत राजस्थानी ”कालबेलिया” पर झूमते रहे दर्शक

बेगूसराय, 23 मार्च (हि.स.)। बिहार दिवस के अवसर पर मंगलवार की रात बेगूसराय के गांधी स्टेडियम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने लोगों पर कला का अद्भुत छाप छोड़ दिया। 2010 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठनों (यूनेस्को) के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल राजस्थान के बहुप्रचारित सपेरा नृत्य ”कालबेलिया” ने ऐसा समां बांध दिया कि दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। राजस्थान के फोक डांस बद्रीनाथ एंड ग्रुप टीम के गायन और डांस के साथ राजस्थानी कलाकारों के तलवार की घार, कांटी, कांच के टुकड़ों पर नृत्य देख लोग विस्मित थे।
मनोरंजक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जल-जीवन-हरियाली के महत्व की भी जानकारी दी गई। सिर पर शीशे का ग्लास, उसके ऊपर मटकी रखकर तथा तलवार और कांटी के ऊपर दोनों पैर रखकर घुंघरू की आवाज पैर से निकाल कर दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोताओं को आश्चर्य चकित कर दिया। जबकि, जीतू ने मुंह से आग की लपटें निकालकर अपने कला का जौहर दिखाया। कालबेलिया के कलाकार पूजा, लक्ष्मी, ललिता, माया एवं आरती की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ने गांधी स्टेडियम में लोगों को लहरियों का आलम बना दिया तथा देर रात तक लोग जमे रहे। ”बालम जी म्हारा रिमझिम बरसे मेघ” पर लोग लगातार झूमते रहे। राजस्थानी नृत्य से पहले जिले के स्थानीय कलाकारों एवं युवा कवियों का जलवा रहा। जिले के चर्चित गजल गायक रंजीत भारती ने जब मंच से ”छाप तिलक सब छीन लीना मुझसे नैना मिलाइके” शुरू किया तो तालियों की आवाज काफी देर तक गूंजती रही। जबकि अंजनी कुमार सिन्हा एवं उनकी पत्नी वंदना श्रीवास्तव की जोड़ी ने गाइए गणपति जगवंदन से झूमने की शुरुआत किया।
युवा कवि विशाल कुमार सिंह ने अपनी कविताओं को कुमार विश्वास की आवाज में सुनाकर खुब तालियां बटोरी, तो युवा कवि प्रफुल्ल कुमार मिश्र एवं डॉ. सच्चिदानंद पाठक खूब वाहवाही लूटते रहे तथा दोनों के संयुक्त मंच संचालन ने बीच-बीच में लोगों को खूब रिझाया। गांधी स्टेडियम में लाइटों से खूबसूरत सजे मंच पर प्रस्तुति से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन डीएम अरविंद कुमार वर्मा एवं एसपी योगेन्द्र कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर किया तथा बिहार दिवस की थीम जल-जीवन-हरियाली पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंतिम कड़ी में सभी राजस्थानी कलाकारों एवं स्थानीय कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डीडीसी सुशांत कुमार ने किया।