
महाराष्ट्र की घटना से उत्तराखंड में भी हलचल

देहरादून, 03 जुलाई (हि.स.)। महाराष्ट्र में घटे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अन्य प्रदेशों में भी ऐसी आशंकाएं प्रबल हो रही हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों और विकास से प्रभावित होकर तमाम पार्टियों के नेता भाजपा से जुड़ना चाहते हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भट्ट के इस बयान ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है कि राज्य के कई बड़े कांग्रेसी नेता उनके संपर्क में हैं, जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आना चाहते हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में एनसीपी में हुए विभाजन की तर्ज पर उत्तराखंड, बिहार और राजस्थान सहित कई ऐसे राज्य हैं जहां इस तरह का विभाजन देखने को मिलेगा। भले ही प्रदेश कांग्रेस में एक और विभाजन का भाजपा नेताओं का यह शिगूफा कोई नया न हो, लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद एनसीपी के एक गुट द्वारा सरकार में शामिल होने की घटना ने उत्तराखंड सहित कई राज्यों में इन चर्चाओं को हवा दे दी है।
उत्तराखंड कांग्रेस और बिहार जेडीयू के कुछ नेताओं के पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने की खबरों ने सियासी पारे को इसलिए भी चढ़ा दिया है, क्योंकि महाराष्ट्र की सियासत में हुई उठापटक का गंभीर असर विपक्षी दलों की राष्ट्रीय एकता की कोशिशों पर भी पड़ता दिख रहा है। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम और काम से प्रभावित अन्य दलों के नेताओं को अब भाजपा के साथ आने में ही अपनी भलाई दिख रही है जबकि भट्ट का कहना है कि अब हमें यह देखना है कि किसको पार्टी में रखना है और किसको नहीं।
कुछ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भाजपा महाराष्ट्र की घटना को जिस तरह से प्रचारित कर रही है वह भाजपा का एक प्रोपेगेंडा है। इसे लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि भाजपा का तो काम ही यही है। भाजपा अब तक 10 राज्यों में निर्वाचित सरकारों को सत्ता से हटा चुकी है। भाजपा विकास के दम पर नहीं तोड़फोड़ के जरिए सत्ता में बने रहने का काम करती आई है, लेकिन उसके इस तरह के प्रयास कब तक कारगर रहते हैं यह समय और देश के लोग तय करेंगे। जब उनसे प्रदेश कांग्रेस में एक और टूट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है।