
बेगूसराय में बच्चों के लिए शुरू हुई लोक नाट्य ”बहुरा गोढ़िन” संवर्धन कार्यशाला

बेगूसराय, 23 मार्च (हि.स.)। बिहार के लोक कला के संरक्षण और विकास को लेकर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज ने बेहतरीन कार्यक्रम शुरू किया है। इसकी कड़ी में एमआरजेडी कॉलेज बेगूसराय में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज, बिहार सरकार के कला-संस्कृति एवं युवा विभाग एवं जिला प्रशासन के सौजन्य से लोकनाट्य कला ”बहुरा गोढ़िन” के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए 30 दिवसीय लोकनाट्य कार्यशाला का शुभारंभ बेगूसराय में हो गया है।
कार्यशाला का उद्घाटन आशीर्वाद रंग मंडल के अध्यक्ष ललन प्रसाद सिंह, संजय कुमार सिंह, प्राचार्य प्रो. अशोक कुमार सिंह, कार्यक्रम प्रभारी पुनः प्रकाश श्रीवास्तव, रंगकर्मी अमित रोशन एवं प्रशिक्षक गजेन्द्र यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कर किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अतिथियों ने कहा कि लोक कला का संरक्षण होना चाहिए, यह लोक नाट्य कार्यशाला को नए कलाकारों के लिए बेहतर साबित होगा। बहुरा गोढ़िन महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है, नई पीढ़ी के कलाकार उन्हें संरक्षित करें। कार्यक्रम समन्वयक रंगकर्मी अमित रोशन ने बताया कि उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा साक्षात्कार के आधार पर प्रशिक्षणार्थी का चयन किया गया है। 22 अप्रैल तक कार्यशाला के बाद 23 अप्रैल को तैयार नाटक बहुरा-गोढ़िन का मंचन दिनकर कला भवन में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बिहार की एक प्रमुख गाथा बहुरा गोढ़िन बेगूसराय के बखरी की सच्ची गाथा है। यहीं कि एक महिला बहुरा गोढ़िन (बहुरा मामा) द्वारा अपने शक्ति के बल पर की गई गाथा की चर्चा पौराणिक काल से कामाख्या से लेकर देश के तमाम शक्तिपीठों तक होती रही है। इस पर स्थानीय लोक गाथा की प्रस्तुति की जाती है, जिसे देखने भीड़ जुटती है। लोक गाथा को जब नाटक का स्वरूप दिया जाएगा तो संरक्षण और संवर्धन के साथ ही ख्याती भी दूर-दूर तक फैलेगी तथा नाटक को एक नया अध्याय मिलेगा। उन्होंने कला पर विस्तार से चर्चा करते हुए अनुशासित होकर कार्यशाला से प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया है।