
पितृपक्ष: अमावस्या पर लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ अपने पितरों को पिंडदान कर किया विदा

– घर परिवार में सुख शांति का आर्शिवाद मांगा,गंगा तट और पिशाचमोचन कुंड पर भारी भीड़ उमड़ी
वाराणसी, 25 सितम्बर (हि.स.)। पितृ पक्ष के अमावस्या (पितृ विसर्जन) पर रविवार को लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ अपने पितरों को साविधि पिंडदान, तर्पण एवं जलाजलि देकर याद किया। लोगों ने अपने पितरों को विदाई देकर उनसे घर परिवार में सुख शांति का आर्शिवाद मांगा। पितरों को विदा देने के पूर्व उनसे विगत 14 दिनों तक तर्पण आदि में हुई त्रुटि, किसी पितर को तिलांजलि देने में हुई चूक के लिए क्षमा याचना भी की।
इसके पूर्व गंगा के सभी घाटों पर पिंडदान करने वालों की भीड़ भोर से ही उमड़ती रही। सिंधिया घाट, दशाश्वमेध घाट, मीरघाट, अस्सी घाट, शिवाला घाट, राजाघाट,पंचगगंगा पर लोगों की सर्वाधिक भीड़ रही। पिशाचमोचन स्थित कुंड पर भी लोगों की भीड़ पिंडदान के लिए उमड़ पड़ी।
दोपहर बाद तक तर्पण और श्राद्ध कर्म चलता रहा। श्रद्धा भाव के साथ मुंडन कराकर गंगा स्नान के बाद लोगों ने तर्पण और पिंडदान किया। जिनके परिजनों की अकाल मृत्यु हुई थी। उन्होंने ऐसे परिजनों और पूर्वजों के निमित्त पिशाच मोचन पर पिंडदान, तेल और घोड़ा दान किया।
ऐसी मान्यता है कि तेल और घोड़ा दान करने से अकाल मृत्यु का ग्रास बनने वाले लोगों की आत्मा को मुक्ति मिल जाती है। जिन लोगों ने अपने पितरों का गया श्राद्ध कर लिया उन्होंने तर्पण के बाद अनाज दान किया। जिन लोगों ने गया श्राद्ध नहीं किया उन्होंने भी श्राद्ध और तर्पण अपने पूर्वजों के निमित्त किया। विधिवत पिंडदान,तर्पण कर लोगों ने अपने घरों में पितरों को भोजन निकालने के बाद इसे कौवा , गाय और श्वान को खिलाया। इसके बाद ब्राम्हणों को भोजन कराया और उन्हें दक्षिणा देकर विदा करने के बाद खुद परिवार के साथ भोजन ग्रहण किया। अमावस्या पर लोग सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर दीप जला कर बांस की कइन में पितरों के लिए अनाज की छोटी.छोटी पोटली बांध कर उनसे अपने लोक लौट जाने का अनुरोध करेंगे।
-ग्रामीण अंचल में भी लोगों ने किया श्राद्ध तर्पण
जिले के ग्रामीण अंचल में भी लोगों ने पितृ विसर्जन पर तालाब,कुंड,मंदिरों के पास विधिवत पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान किया। रामनगर,रोहनिया,हरहुआ,सेवापुरी,कपसेठी,जंसा,बाबतपुर के साथ जनपद चंदौली के बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया। पितरों को जौ के आटे से बना पिंड व तिल दान कर उन्हें तर्पण कर दानपुण्य किया। अमावस्या पर वाराणसी में पिंडदान करने वालों में दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं की भीड़ रही। दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने पिशाच मोचन में पितरों के लिए पिंडदान कर मोक्ष की कामना की।