
कोरोना संकट की मार से ऊबर नहीं पा रहे तरबूज उत्पादक किसान

कई गांवों में नहीं हो रही है खेती
खूंटी, 21 मार्च (हि.स.)। लाल रसीले तरबूज की खेती के लिए विख्यात खूंटी जिले के किसान लगातार दो वर्षों के कोरोना संकट की मार से अब तक ऊबर नहीं पाये हैं। कोरोना लॉक डाउन के कारण किसानों के हजारों मैट्रिक टन तरबूज खेतों में ही सड़ गये। कोरोना बंदी के कारण तरबूज उत्पादक किसानों को बाजार नहीं मिल पाया और उन्हें लाखों रुपये का नुकसान सहना पड़ा। यही कारण है कि खूंटी के किसान इस बार तरबूज की खेती से दूर भाग रहे हैं। किसानों का कहना है कि दो वर्ष से लगातार घाटा होने के कारण उनके पास पूंजी का अभाव हो गया है। यही कारण है कि तोरपा प्रखंड के सुंदारी जैसे इलाके में जहां दो-तीन सौ एकड़ में तरबूज की खेती होती थी, वहां इस साल महज 70-80 एकड़ में ही तरबूज के बीज बाये गये हैं। कई किसान तो अब भी इस बात से आशंकित हैं कि कारोना संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। कहीं ऐसा न हो कि अप्रैल—मई महीने में फिर से लॉक डाउन हो जाए।
सुंदारी गांव के तरबूज उत्पादक किसान और बिरसा कॉलेज में बीएससी के छात्र विवेक महतो कहते हैं कि कोरोना संकट ने आर्थिक रूप से किसानों की कमर तोड़ दी है। पूंजी के अभाव में कई किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुरहू, तोरपा, कर्रा, अड़की प्रखंड में भारी मात्रा तरबूज की खेत की होती थी। इस बार भी किसानों ने इस पर जुआ खेला है,पर दर्जनों गांव के छोटे किसानों ने खेती नहीं की। विवेक ने कहा कि जिले के गुड़गुड़ चुआं, पेलौल, उरलुटोली, पाकरटोली, तिरला सहित दर्जनों गांवों में इस बार तरबूज की खेती नहीं की गयी है। सेमरटोली के ही छात्र और तरबूज उत्पादक किसान विनंद महतो कहते हैं कि सरकार या प्रशासन द्वारा तरबूज किसानों को कोई सहायता नहीं दी जाती। किसानों की सबसे बड़र समस्या सिंचाई की है। सिंचाई की सुविधा और बाजार मिल जाए, तो खूंटी जिला तरबूज उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि खूंटी के तरबूज कोलकाता, राउरकेला, बिहार के साथ ही नेपाल तक भेजे जाते थे, पर पिछले दो साल से लाल तरबूज पैदा करने वाले किसानों के चेहरे पीले पड़े हुए हैं। कोरोना संकट के पहले दूसरे जिलों और राज्यों के लोग खेतों से ही तरबूज की खरीदारी कर लेते थे, पर 2020 और 2021 के लाकडाउन के कारण किसान अपने उत्पाद बेच नहीं पाये और तरबूज खेतों में ही सड़ गये। किसान बताते हैं कि उन्होंने ब्याज पर रुपये लेकर तरबूज की खेती की थी, लेकिन उन्हें लॉक डाउन के कारण काफी नुकसान हुआ। कई किसानों ने बैंक से ऋण लिया था, अब उन्हें कर्ज चुकाना मुश्किल हो रहा है।