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उत्तराखंड: अब औली के स्कीइंग केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने का दिखने लगा है असर


जोशीमठ, 26 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड के जोशीमठ नगर के शीर्ष पर स्थित हिमक्रीड़ा केन्द्र औली शीतकालीन पर्यटन और शीतकालीन खेलों के लिए विश्व भर प्रसिद्धि पा चुका है। इस औली की ढलानों में लकड़ी की स्की बनाकर स्कीइंग के गुर सीखने वाले स्थानीय युवा आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।

बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में आयोजित हुई राष्ट्रीय स्नो सुइंग प्रतियोगिता में इन्ही में से आठ युवक युवतियों ने उत्तराखंड टीम का प्रतिनिधित्व कर न केवल आठ मेडल जीते बल्कि 11 राज्यों, आईटीबीपी व सेना की टीम का मुकाबला करते हुए ओवरऑल चैम्पियनशिप का खिताब भी उत्तराखंड के नाम करने में सफल रहे। पहली बार राज्य की कोई टीम राज्य के बाहर खेलते हुए ओवरऑल चैम्पियनशिप का खिताब लेकर लौटी है।

दरअसल गांव-शहर के नजदीक किसी भी स्थल का विकास होता है तो उसका लाभ अवश्य ही स्थानीय समाज को भी मिलता है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण औली है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986-87 में गढ़वाल मंडल विकास निगम ने औली में स्कीइंग प्रशिक्षण की शुरुआत की, तब औली में न आवासीय सुविधा थी और ना ही कोई होटल या रेस्टोरेंट। निगम कर्मी जोशीमठ से पर्यटकों को स्की उपकरण के साथ औली पहुंचाते थे और प्रशिक्षण के बाद प्रतिदिन वापस जोशीमठ पहुंचाते थे। धीरे-धीरे औली स्कीइंग प्रशिक्षण के एक बेहतरीन केन्द्र के रूप में अपनी जगह बनाने में सफल हुई। औली में ढांचागत सुविधा का विस्तार हुआ है, लेकिन स्थानीय बच्चे और युवा जिन्हें महंगे स्की उपकरण सुलभ ही हो पाते थे, वे लकड़ी की स्की से ही स्लोप (ढलानों) पर स्कीइंग के गुर सीखते रहे।

औली को शीतकालीन खेलों के प्रमुख केन्द्र के रूप में ख्याति दिलाने के लिए शुरुआती दौर में शीतकाल में औली फेस्टिबल के आयोजन हुए। इस दौरान औली में स्कीइंग प्रतियोगिता तो जोशीमठ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस तरह औली गुलमर्ग और मनाली के तर्ज पर शीतकालीन क्रीड़ा के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा और यहां न केवल राष्ट्रीय स्तर के बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के सैफ गेम्स के आयोजन भी सफलता पूर्वक हुए।

औली के विकास का लाभ स्थानीय युवाओं को मिला और प्रतिभाओं को अपने हुनर के प्रदर्शन का अवसर भी। कई स्थानीय युवक युवतियां तो स्कीइंग के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतररष्ट्रीय पहचान बनाने में भी कामयाब हुए हैं। औली स्कीइंग स्लोप पर लकड़ी की स्की बनाकर स्कीइंग का करतब सीखने वाले बच्चे आज न केवल स्कीइंग बल्कि स्नो सुइंग जैसी प्रतिस्पर्धाओं में अपना स्थान बनाने में सफल हो रहे हैं।

स्थानीय युवाओं में कुछ करने का जोश और जज्बा तो है, लेकिन उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के अभाव में कई उभरती प्रतिभाओं को अपने हुनर का बेहतरीन प्रदर्शन का अवसर नहीं मिल पाता। जरूरत है शीतकालीन विभिन्न खेलों के लिए युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने की, ताकि वे शीतकालीन खेलों के माध्यम से अपना भविष्य संवार सके।